क्यों न हम सब भारतीय अपने राष्ट्र को केवल "भारत" नाम से ही सम्बोधित करें? हमारा राष्ट्र हिन्दी में भारत और अंग्रेजी में इण्डिया (India) के नामों से जाना जाता है। इण्डिया नाम की उत्पत्ति सिन्धु नदी के अंग्रेजी नाम "इण्डस" से हुई है, जो केवल एक भौगोलिक क्षेत्र का द्योतक है। इंण्डिया नाम पश्चिमी राष्ट्रों का दिया हुआ है जबकि "भारत" नाम, राजा भरत के नाम से प्रचलित है। राजा भरत प्राचीन भारत के चक्रवर्ती सम्राट थे जो कि हस्तिनापुर के राजा दुष्यन्त तथा रानी शकुन्तला के पुत्र थे।
भारत नाम इस राष्ट्र की मूल सांस्कृतिक सभ्यता, चेतना, और रीति रिवाज का सही प्रतीक है। संस्कृत के भारत (भा + रत) शब्द का अर्थ है वह जो आन्तरिक प्रकाश या विदेक-रूपी प्रकाश मे अनुरक्त या समर्पित हो। वह जिसने ब्रम्ह चैतन्य या परम तत्व का ज्ञान कर लिया हो। आदि काल के भारत के ऋषि मुनियों के साथ साथ आम नागरिक भी आत्म चिन्तन और आत्म ज्ञान के चरम प्रकाश के प्रति समर्पित हुआ करते थे। यह उनके जीवन जीने का ध्येय, प्रमुख उद्देश्य ओर तरीका हुआ करता था, जो सत्य पर आधारित हुआ करता था। ऐसे विशाल और गुढ़ अर्थ वाला शब्द ही इस राष्ट्र का सही और उचित नाम हो सकता है।
जब यह सत्य है कि भारत जमीन का एक टुकड़ा नही है, बल्कि इस राष्ट्र की सास्कृतिक सभ्यता से जुड़ा हुआ गहन अर्थ को दर्शित करने वाला नाम है, तब क्यों न हम उधार के शब्द इंण्डिया नाम का प्रयोग बंद कर दे और केवल अपनी मूल सभ्यता के अपने नाम भारत शब्द का ही उपयोग करें। फ्रांस, जर्मनी, रशिया, जापान, चीन जैसे अन्य किसी विकसित राष्ट्र ने न तो अपना नाम बदला है और न अपनी भाषा। हम भारतीय ही क्यों अपनी गुलामी के प्रतीक राष्ट्र के नाम और अंग्रेजी भाषा को अपनायें हुए है?
क्यों न हम भारतीय संविधान से India नाम हटा दें और भारत को केवल भारत के नाम से ही संबोधित करें।
इस विषय पर चिन्तन जरूर होना चाहिए।
भारत नाम इस राष्ट्र की मूल सांस्कृतिक सभ्यता, चेतना, और रीति रिवाज का सही प्रतीक है। संस्कृत के भारत (भा + रत) शब्द का अर्थ है वह जो आन्तरिक प्रकाश या विदेक-रूपी प्रकाश मे अनुरक्त या समर्पित हो। वह जिसने ब्रम्ह चैतन्य या परम तत्व का ज्ञान कर लिया हो। आदि काल के भारत के ऋषि मुनियों के साथ साथ आम नागरिक भी आत्म चिन्तन और आत्म ज्ञान के चरम प्रकाश के प्रति समर्पित हुआ करते थे। यह उनके जीवन जीने का ध्येय, प्रमुख उद्देश्य ओर तरीका हुआ करता था, जो सत्य पर आधारित हुआ करता था। ऐसे विशाल और गुढ़ अर्थ वाला शब्द ही इस राष्ट्र का सही और उचित नाम हो सकता है।
जब यह सत्य है कि भारत जमीन का एक टुकड़ा नही है, बल्कि इस राष्ट्र की सास्कृतिक सभ्यता से जुड़ा हुआ गहन अर्थ को दर्शित करने वाला नाम है, तब क्यों न हम उधार के शब्द इंण्डिया नाम का प्रयोग बंद कर दे और केवल अपनी मूल सभ्यता के अपने नाम भारत शब्द का ही उपयोग करें। फ्रांस, जर्मनी, रशिया, जापान, चीन जैसे अन्य किसी विकसित राष्ट्र ने न तो अपना नाम बदला है और न अपनी भाषा। हम भारतीय ही क्यों अपनी गुलामी के प्रतीक राष्ट्र के नाम और अंग्रेजी भाषा को अपनायें हुए है?
क्यों न हम भारतीय संविधान से India नाम हटा दें और भारत को केवल भारत के नाम से ही संबोधित करें।
इस विषय पर चिन्तन जरूर होना चाहिए।