Wednesday, 28 September 2016

आज का आरक्षण आन्दोलन

महाराष्ट्र में आजकल मराठा आरक्षण के लिए चल रहे आन्दोलन की जोरदार चर्चा है। मुख्य मंत्रि श्री देवेन्द्र फड़नवीश का भी बयान इसके पक्ष में आया है जो शायद उनकी राजीतिक आवश्यकता हो। लेकिन यथार्थ यह है कि इस तरह के सारे आन्दोलन जैसे कि पाटीदार आरक्षण आन्दोलन, जाट आरक्षण आन्दोलन और अब मराठा आरक्षण आन्दोलन देश को बांटने, देश को कमजोर करने और कुछ राजनीतिक लोगों की दुकानें चलाने के लिए होते है। भोले भाले लोगों का इसके लिए उपयोग होता है। इन आरक्षण की राजनीति करने वालों को शायद कुछ दुषित और स्वार्थी बाहरी ताकतों से शायद पैसा भी आता हो। देश को कमजोर करने के लिए। पाटीदार, जाट प्रायः धनी और प्रभावी परिवार - जाति है। मराठा भी उसी वर्ग में आता है।  राजनीति में भी इनका विशेष दबदबा है। कई प्रख्यात राजनेता मुख्य र्मंत्रि की कुर्सी पर लम्बे समय तक विराजमान रहे है। क्या वाकई इन्हें आरक्षणा की जरुरत है?इन्हें आरक्षण किसलिए चाहिए? वास्तव में आज देश की आजादी के करीब सत्तर साल बाद तो सारे आरक्षण बंद करने की बात होनी चाहिए। झ्सके लिए राष्ट्र व्यापि आन्दोलन होना चाहिए ।संविधान में इस विषय पर पुनरावलोकन करने का प्रावधान है। लेकिन ये देश का दुर्भाग्य है कि रोज देश में नए नए आरक्षण की आवाजों का कोलाहल होता है। क्याआरक्षण की मांग करने वाले किसी आरक्षण के कोटे से बनें अयोग्य डॉक्टर से अपनी सर्जरी या इलाज करवायेंगे? आज प्राविण्यता और मेरिट की बात होनी चाहिए। आरक्षण देना है तो कमजोर वर्ग को दो जो किसी भी जाति का हो। अपनी राजनीति की दुकान चलाने के लिए भोली भाली और गरीब जनता का उपयोग बंद करो। देश को और मत बांटों । देश को और पीछे मत ढकेलो। एक सच्चे भारतीय बनों।

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