Friday, 12 October 2018

एक ऐतिहासिक भूल या एक गहरी चाल

एक स्वतंत्र भारत के नागरिक के रुप में कभी कभी सोचने पर मजबूर हो जाता हूं कि १९४७ में जब भारत स्वतंत्र हुआ तब एक ब्रिटीश साम्राज्य, जिसके खिलाफ हमने आजादी की लड़ाई लड़ी, उसीके मुख्य प्रतिनिधि लॉर्ड माउंट बेटन को स्वतंत्र भारत का गवर्नर जनरल बनाना स्वीकार किया। क्या भारत में कोई भी व्यक्ति गवर्नर जनरल बनने के लायक नही था। कहते है लॉर्ड माउंट बेटन को गवर्नर जनरल बनाने के फैसले को भारत की केबिनेट में भी पास नही करवाया गया था। इस फैसले के पीछे जवाहरलाल नेहरु की ही प्रमुख भूमिका रही थी। क्या यह फैसला हमारी गुलाम मानसिकता का परिचायक नही था। सवाल सीधा है, जिसके खिलाफ हमने स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी उसे ही हमने अपना राष्ट्राध्यक्ष ही नही बना दिया बल्कि उसे ही प्रमुख सलाहकार भी मान लिया। या यो कहिए कि घर के लुटेरे को ही घर का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया जाए। क्या यह एक ऐतिहासिक भूल थी या एक गहरी चाल या दोनों? भूल भारत की और चाल ब्रिटीश एम्पायर की?



इसके विपरीत स्वतंत्र पाकिस्तान ने अपना गवर्नर जनरल मो. अली जिन्ना को बनाया था, भारत की तरह किसी अंग्रेज को नही।

इतिहासकार कहते है कि नेहरु और लॉर्ड माउंट बेटन के इस युगलबंदी की ही देन हमारी सत्तर वर्ष पुरानी रक्तरंजित कश्मीर समस्या है। यह भी सही है कि कश्मीर के मुद्दे पर प्रमुख भूमिका नेहरु की ही रही थी और सरदार पटेल को इस मुद्दे से दूर ही रखा गया था।

इसीलिये कई विचारक मानते है कि यदि सरदार पटेल को भारत का  प्रथम प्रधान मंत्री बनाया जाता तो आज हम लोगों के सामने एक अलग ही भारत की तस्वीर होती। साथ ही भारत में लोकतंत्र अधिक मजबूत होकर डायनास्टिक राजनीति का जन्म न हुआ होता और एक ही परिवार में जन्में नेहरु-गांधी वारिसों ने राज न किया होता। जवाहरलाल नेहरु का भारत के निर्माण में योगदान का पूर्ण सम्मान करने के साथ ही कहने में कोई हर्ज न होगा कि इतिहास के कुछ घटनाक्रम या ऐतिहासिक गलतियों ने भारत को जो कश्मीर समस्या के जो घाव दिये और डायनास्टिक रुल की जो परिपाटी रखी उससे भारत की प्रभुसम्पन्नता, शक्ति और सच्चे लोकतंत्र का नुकसान भी कम नही हुआ।

No comments:

Post a Comment

Nyay or Anyay

Is it a Nyay Yojana or AnyayYojana?  Congress sets it's desperate game plan to come to power at any cost, not at any cost to itself b...