Saturday, 15 April 2017

ईश्वर का उत्तम प्लान (योजना) - God's Supreme Plan

एक सुन्दर कहानी...

Lord  Krishna
भारत के किसी बड़े शहर में भगवान कृष्ण का विशाल मंदिर था। मंदिर में स्थापित भगवान कृष्ण की उतनी ही विशाल और सुन्दर मुर्ति थी। कृष्ण की वहीं बांसुरी बजाती हुई एक पैर को मोड़कर खड़ी मनोहर मुद्रा सबके आकर्षण का केन्द्र होती थी।लोग हजारों की संख्या में घंटों  कतारों में खड़े होकर दर्शन  पाने के लिए इंतजार करते थे।उसी मंदिर में एक बहुत ही भोला सफाई कर्मचारी था। वह लोगों  की कतारें देखकर सोचते रहता था कि भगवान कृष्ण को इन लोगों को दर्शन देने के लिए हर दम एक पांव पर खड़े रहना पड़ता है। भगवान इस स्थिति से जरुर थक जाते होंगे यह सोचकर एक रात एकांत पाकर वह भगवान कृष्ण के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो गया और कहने लगा कि हे प्रभु! आपको इस तरह खड़ा देखकर मुझे बहुत कष्ट होता है। आप थक जाते होंगे। मुझसे आपका यह दुख देखा नही जाता। मेरी आपसे प्रार्थना है कि मुझे एक दिन के लिए ही सही आपका रुप देकर आपकी जगह खड़े रहने दीजिए, ताकि आपको आराम मिल सकें। उस सफाई वाले की भोली और सच्ची प्रार्थना सुनकर भगवान कृष्ण बहुत प्रसन्न हुए और कहा ऐसा ही होगा, लेकिन एक शर्त है; तुम्हें मेरी बात माननी होगी। मै तुम्हारी जगह सेवक बन जाउंगा ओर तुम मेरी सूरत लेकर मेरी जगह खड़े हो जाओगे।  साथ ही तुम केवल एक मूकदृष्टा बनकर खड़े रहोगे   और लोगों के कार्यों में कोई हस्तक्षेप नही करोगे। सफाई कर्मचारी तुरंत मान गया। भगवान अपने वचनानुसार स्वयं सफाई कर्मचारी बन गये और सफाई कर्मचारी को अपना रुप देकर अपने स्थान पर खड़ा कर वहा से चलते बने।

दुसरे दिन हमेशा की तरह दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ी। सफाई कर्मचारी भगवान का रुप लेकर भक्तों को ध्यान से  देख रहा था। पहला भक्त एक मोटा सेठ था। उसके हाथ में एक ब्रिफ केस (बेग) था। उसने वह बेग  भगवान की मूर्ति के सामने नीचे चबुतरे पर रखा और आंख बंदकर और दोनों हाथ जोड़कर खड़ा हो गया। मन ही मन वह प्रार्थना करने लगा कि हे भगवान मुझे मेरे व्यवसाय में खूब तरक्की देना। प्रार्थना कर सेठ भगवान के सामने माथा ठेक कर वापस चला गया। गल्ती से उसका बेग वही छूट गया। सेठ के जाने के बाद वहां एक गरीब किसान आया। उसने अपनी जेब से एक सिक्का निकाला और भगवान के चरणों में उसे अर्पण कर दिया। फिर वह आँख मूंद कर भगवान से प्रार्थना करने लगा कि हे भगवान मेरे पास जो था वह मैने सब आपको अर्पण कर दिया। आप मेरी मदद करें। मै कभी भी आपका नाम विसरु। मेरा परिवार भूखा है। मेरा हृदय दर्द से चीख रहा है। मुझ पर कृपा करें, मेरी सहायता करें। फिर उसने आँखे खोली। वह क्या देखता है? उसने सामने एक बेग रखा देखा। किसान ने बेग खोलकर देखा। उसमें हजारों रुपए रखें हुए थे। किसान ने सोचा कि भगवान ने उसकी प्रार्थना सुन ली है उसकी गरीबी पर तरस खाकर यह रुपयों से भरा बेग उसे दिया है। बेग लेकर वह किसान भगवान को  धन्यवाद देकर वहा से वापस लौट गया। इसके बाद भगवान के सामने एक बड़े जहाज का सेलर (नाविक) आया। उसने भगवान से प्रार्थना की कि हे कृष्ण भगवान! मै लम्बी समुद्री यात्रा पर जा रहा हूँ, मेरी रक्षा करना। वह प्रार्थना कर ही रहा था कि वहा पर वही पहले वाला मोटा सेठ 3-4 पुलिस वालों को लेकर आया। उसने देखा, उसका रुपयों से भरा बेग वहा नही था। मोटे सेठ ने पुलिस वालों से नाविक की ओर हाथ उठाकर कहा कि इसी ने मेरा बेग चोरी किया है। इसे गिरफ्तार कर लो। पुलिस ने उस नाविक को पकड़ लिया। नाविक ने बार बार कहा कि उसने बेग नही चुराया है, उसे नही पकड़े लेकिन पुलिस मान नही रही थी। सफाई कर्मचारी भगवान के रुप में यह सब देख रहा था। उससे यह अन्याय सहन नही हो रहा था। भगवान कष्ण से केवल एक मूकद्रष्टा बने रहने का वचनबद्ध होने के बाद भी उससे रहा नही गया और वह बोल पड़ा कि यह नाविक निर्दोष है, इसने बेग नही चुराया। बेग तो कोई इसके पहले वाला आदमी ले गया। ये आवाज सुनकर सेठ ने कहा कि ये आदमी बहुत धूर्त लगता है। इसने बेग कही छुपा दिया है और कुछ आवाज निकाल कर हमें भुलावे में डालने की कोशीस कर रहा है कि बेग और कोई ले गया। पुलिस ने उस आदमी को ले जाकर जेल में बंद कर दिया।


इधर जब रात हुई और भक्तों का आना थम गया तब भगवान कृष्ण जो सफाई कर्मचारी का रुप लिये हुए थे वहा आये और अपने स्थान पर चले गए। सफाई कर्मचारी को उसका असली रुप दे दिया और बोले; कहो भाई तुम्हारा एक दिन का भगवान के रुप में  अनुभव कैसा रहा? उस सफाई कर्मचारी ने जवाब दिया; "मुझे नही बनना भगवान, यहां तो बडा अन्याय है। निर्दोष व्यक्ति को पुलिस पकड़ कर ले गई। मैने रोकना चाहा पर कोई मेरी बात सुनने के लिए तैयार नही था। भगवान पर तो किसी का भरोसा ही नही रहा।भगवान कृष्ण ने कहा कि हे मेरे प्यारे मित्र; तुम पूर्व नियोजित बात पर स्थिर क्यो नही रहे। तुम्हें तो केवल एक मूकद्रष्टा बने रहने के लिए कहा था। तुम कुछ नही जानते हो और मै सर्वज्ञाता हूँ, सबको और सब कुछ जानता हूँ। मेरी सबके लिए एक अच्छी योजना होती है। मै तुम्हें बताता हूँ, सुनो; वह जो मोटा सेठ था उसने अधर्म और अन्याय से रुपए कमाये थे। वे रुपए उसके नही थे, इसलिये उसे उन रुपयों को खोना पड़ा। और  जो गरीब किसान था, उसका सब कुछ उसके पास रखा एक सिक्का ही था, उसे भी अपनी सच्ची श्रद्धा के रुप में मुझे अर्पण कर दिया था। उसका परिवार भूखा था। वह एक इमानदार और मेहनती व्यक्ति था। इसलिए उसे वह रुपयों से भरा बेग मेरे प्रसाद के रुप में मिला। अब उस नाविक की बात सुनो; वह भी मेरा सच्चा भक्त था।  उसने समुद्री यात्रा से पहले अपनी रक्षा के लिए मेरी प्रार्थना  की थी। आज मौसम बहुत खराब होने वाला था। यदि वह समुद्री यात्रा पर निकल गया होता तो निश्चय ही समुद्र में उसका जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो जाता और नाविक को अपने प्राण गंवाना पड़ा होता। अभी वह सकुशल और सुरक्षित पोलिस के कब्जे में है। कुछ समय बाद पुलिस जान जायेगी कि वह नाविक निर्दोष है। पुलिस उसे क्षमा मांगकर स्वतंत्र कर देगी। यह सुनकर सफाई कर्मचारी ने कहा कि यह सब वह नही जानता था। भगवान ने कहा कि "मै तो सब कुछ जानता हूँ। मेरी हर एक के लिए एक उत्तम योजना होती है। यह तुम नही जानते। तुम्हारा मुझ पर और मेरे न्याय पर पूर्ण विश्वास नही है, इसलिए, तुमने सब कुछ अपने हाथ में लेने का असफल प्रयास किया। ऐसा कभी मत करो। हमेशा मुझ पर पूरा विश्वास रखो।"

हम सबके लिए और आसपास की हर चीज के लिए भगवान का  हर समय एक उत्तम प्लान (योजना) होता है। हम सबको भगवान पर और उसकी बुद्धिमता पर पूरा विश्वास रखकर उसकी इच्छा को सहर्ष स्वीकार करना चाहिए।

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