हरयाणा की कल की मानव निर्मित दुर्घटनाएं....
घोर अनर्थ और अधर्म की पराकाष्ठा....
सरकार मूक दर्शक....
किसी के पास यदि लाठी और पैसा है (किस तरह से यह कमाया है अलग विषय है) तो देश में वह कुछ भी कर सकता है? प्रशासन के समय पर न जागने से 30 सेअधिक लोगों की जान गई है और भारत की किमती संपदा में आग लगा दी गई है। इस भीड़तंत्र के लिए लोगों की जान और भारतीय संपत्ति की कोई किमत नही है! और भारत महान में यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि एक व्यक्ति को जिसे वह स्वयं और कुछ लोग गॉडमेन और धर्म गुरु कहते है, उसे बलात्कार जैसे अधर्म के आरोप में कानून ने दोषी करार दिया। सरकार तीन दिन से मूक दर्शक बनी हुई थी। 1.5 लाख से उपर हथियारों से सुसज्जित भीड़ को इकट्ठा होने दिया गया है। क्या सब जानबूझ किया गया है और हालत बिगड़ने दी गई है?
सारा काण्ड क्या सरकार के मुंह पर यह एक करारा तमाचा नही है? प्रशासन इतना लचर और मजबूर क्यों है? राज्य और केन्द्र में एक ही दल राज कर रही है। क्या यहाँ भी कोई सांठ गाठ या वोट बेंक है? भारतीय जनता पार्टी, the party with a difference से लोगों को बहुत उम्मीदें है लेकिन ये तो अच्छे दिन या सुशासन वाली बात नही है! जनता तथाकथित देश भक्त सरकार से घटना की निन्दा या कड़ी निन्दा नही, हरयाणा सरकार की असफलता पर तुरन्त कठोर कार्यवाही चाहती है।
भारत को एक ऐसा कमजोर जनतंत्र मत होने दो जहाँ पर एक भीड़ भयानक तबाही मचा दे।
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