हम में से हर कोई यह बात भली भांति जानता है कि हमारा मन अति चंचल है। उसे कितना भी एक ठिकाने पर रोकने की कोशीश करो, वह इधर उधर भागते ही जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने इसे वायु के वेग से भी बलशाली माना है। सतत वर्षों के प्रयास के बाद ही झ्से नियमित किया जा सकता है। मानलो, आप अभी कही प्रवचन सुनने बैठे है। प्रवचन चल रहा है। लेकिन क्या आपका दिमाग पूरी तरह आपके साथ है? क्या आप पूरी तरह से प्रवचन सुन पा रहे है। शब्द आपके कानों में जा रहे है, लेकिन आपका मन कही और भटक रहा है इसलिए शब्द आपके मानस पटल पर अंकित नही हो रहे है। आप कर क्या रहे है? आपका दिमाग या तो भविष्य की सोच में उलझा हुआ है या अतित के घटनाक्रम में व्यस्त है।आप ध्यान देंगे तो पाएंगे कि आपका दिमाग हमेशा या तो अतीत की चिंताओं में फंसा है या भविष्य की दुविधा से उलझ रहा है। यह स्थिति आपकी शांति और एकाग्रता भंग करने के लिए काफी है।आप विचार करेंगे कि आपकी प्रवचन ग्रहण करने की क्षमता कितने प्रतिशत है तो पाएंगे कि किसी कि क्षमता 10% है तो किसी की20%। प्रायः देखा गया है कि मनुष्य की औसतन क्षमता 30% से 40% के बीच ही रह पाती। यदि आप अध्ययन कर रहे है या अपने आफीस में कार्य कर रहे तो यह प्रतिशत आपकी पूरी क्षमता का उपयोग करने में पर्याप्त नही है। आपकी क्षमता जो कार्य 3-4 घंटे में पूरा करने की है वह काम वास्तव में आप करीब 10 घंटे में पूरा कर पाते है। परिणाम यह होता है कि एक और आपकी उत्पादकता अपर्याप्त रह जाती है तो दुसरी ओर आप शारीरिक और मानसिक रुप स बहुत थकान महसूस करते है। आप हमेशा कहते रहते है कि आपके पास समय नही या समय कम है।
वास्तविक समस्या दुसरी है। आप में एकाग्रता की कमी है। आप अपने कार्य पर अपना मन, अपना दिमाग पूरी तरह केंद्रित नही कर पाते। यदि आप अपना मन और दिमाग पूरी तरह 100% अपने कार्य में केंद्रित कर पाए तो आपको कभी समय की कमी महसूस नही होगी।
आपको करना क्या है? साधारण से शब्दों में कहा जाए तो आपके मन को अतीत और भविष्य की चिंता और असमंजस की स्थिति से निकालकर वर्तमान में लाना है। मन के अतीत और भविष्य की दौड़-भाग करने वाले घोड़ों की डोरी हात में कसकर थामना है और उन्हें वर्तमान के नियोजित कार्यों में लगाना है।आपने अक्सर देखा होगा कि छोटे बच्चे घंटो खेलते कूदते रहते है। लगता है उनमें समंदर जैसी शक्ति का श्रोत है। लेकिन हम
अपने मन को वर्तमान में कैसे ला सकते है? इसके लिए आपको सतत अभ्यास की जरुरत है।भूत जो बीत गया वह आप बदल नही सकते और भविष्य जो अभी देखा नही पर वर्तमान में अपने कार्य पर केंद्रित कर कुछ हद तक उसे बस में किया जा सकता है। क्यों न हम वर्तमान में अपना 100% योगदान देकर भविष्य को सुरक्षित करें। प्राणायाम और ध्यान की तकनिकी अपना कर अपनी 100% शक्ति वापस पा सकते है।कुछ ही दिनों के प्रयास से आप आश्चर्यजनक नतीजे पाएंगे। आपको आपकी सफलता प्राप्त करने से कोई नही रोक सकता। अपना 100% दो और 100% पाओ।
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