भारतीय राजनीति का कटु सत्य......
और यहॉ का राजनेता....
गठबंधन, महागठबंधन
सत्ता के लिए भ्रष्टबंधन, महाभ्रष्ट बंधन
दल बदल, मन बदल, चाल चलन बदल
सत्ता के लिए कर्म बदल, अर्थ बदल, धर्म बदल
जांत-पात, उंच-नीच और धर्म की राजनीति
देश विभाजन, देश द्रोह की घिनोनी ये कुटनीति
लोगों को भड़कावों, कटवावों और दंगे करवावो
हिंदु मुस्लिम, दलित महादलित में समाज को बंटवावों
मुस्लिम वोट के लिए नारा देकर ये खून बहाते है
हिन्दू की बात करें कोई तो उसे साम्प्रदायिक ठरवातें है
देश बाँटने के लिए पैसा देकर सेना पर पत्थर ये फिंकवाते है
लालच देकर असहिष्णुता के नाम पर अवार्ड वापसी करवाते है
समाजवाद के नाम पर सभी ये परिवारवाद चलाते है
राष्ट्रवाद का नाम लेकर जनता को खूब ठगाते है
झोला लेकर, फटी चप्पल पहन निकले थे ये राष्ट्र बनाने में
धनकुबेर बन स्वतः उड़ते है आज चार्टर्ड विमानों में
जनता त्राहि त्राहि, अनसूनी कर चलती रहे इनकी वाह वाही
गरीबी हटाव, नही, गरीब बढ़ाओ नीति से चलवाते आवाजाही
राष्द्रप्रेम, भूल जावों, एक ही प्रेम है इनकी नीति में
लूटों, लूटों और लूटों ये लक्ष्मीपूूजारी माहिर है ठगनीति में
सिपाही सीमा पर गोली खाता है राष्द्र रक्षा के लिए
इन्हें क्या, उसके खून से लथी रोटियां खाता है वोटों के लिए
भगतसिंग और सुभाष के बलिदानों को ये मिट्टी में चुनवाते है
नकली गाँधी बन, गाँधी के नाम को वोट के लिए भुनवाते है
कब तक चलेगी ये देश विरोधी घिनोनी बाँते
भारत बदल रहा है, जाग रहा है, खत्म होगी ये अंधकारमय रातें
सूरज एक, दुश्मन अनेक पर है ये सूरज सब पर भारी
अंधकार की इस नगरी में की है उसने शेर पर सवारी
साथियों, उसका नाम तो बताओ...
Political Mahagathbandhan...
I was trying to write about the poltical jugads, the political convenience, the politics of Gathbandhans....about the forthcoming state elections but some how after two three lines....it got a flow like some poetry. So this is the outcome. A first ever attempt after my college days.
At the end, there is a ray of hope...and a question pointing to an answer...towards whom the majority of Indians are looking.
और यहॉ का राजनेता....
गठबंधन, महागठबंधन
सत्ता के लिए भ्रष्टबंधन, महाभ्रष्ट बंधन
दल बदल, मन बदल, चाल चलन बदल
सत्ता के लिए कर्म बदल, अर्थ बदल, धर्म बदल
जांत-पात, उंच-नीच और धर्म की राजनीति
देश विभाजन, देश द्रोह की घिनोनी ये कुटनीति
लोगों को भड़कावों, कटवावों और दंगे करवावो
हिंदु मुस्लिम, दलित महादलित में समाज को बंटवावों
मुस्लिम वोट के लिए नारा देकर ये खून बहाते है
हिन्दू की बात करें कोई तो उसे साम्प्रदायिक ठरवातें है
देश बाँटने के लिए पैसा देकर सेना पर पत्थर ये फिंकवाते है
लालच देकर असहिष्णुता के नाम पर अवार्ड वापसी करवाते है
समाजवाद के नाम पर सभी ये परिवारवाद चलाते है
राष्ट्रवाद का नाम लेकर जनता को खूब ठगाते है
झोला लेकर, फटी चप्पल पहन निकले थे ये राष्ट्र बनाने में
धनकुबेर बन स्वतः उड़ते है आज चार्टर्ड विमानों में
जनता त्राहि त्राहि, अनसूनी कर चलती रहे इनकी वाह वाही
गरीबी हटाव, नही, गरीब बढ़ाओ नीति से चलवाते आवाजाही
राष्द्रप्रेम, भूल जावों, एक ही प्रेम है इनकी नीति में
लूटों, लूटों और लूटों ये लक्ष्मीपूूजारी माहिर है ठगनीति में
सिपाही सीमा पर गोली खाता है राष्द्र रक्षा के लिए
इन्हें क्या, उसके खून से लथी रोटियां खाता है वोटों के लिए
भगतसिंग और सुभाष के बलिदानों को ये मिट्टी में चुनवाते है
नकली गाँधी बन, गाँधी के नाम को वोट के लिए भुनवाते है
कब तक चलेगी ये देश विरोधी घिनोनी बाँते
भारत बदल रहा है, जाग रहा है, खत्म होगी ये अंधकारमय रातें
सूरज एक, दुश्मन अनेक पर है ये सूरज सब पर भारी
अंधकार की इस नगरी में की है उसने शेर पर सवारी
साथियों, उसका नाम तो बताओ...
Political Mahagathbandhan...
I was trying to write about the poltical jugads, the political convenience, the politics of Gathbandhans....about the forthcoming state elections but some how after two three lines....it got a flow like some poetry. So this is the outcome. A first ever attempt after my college days.
At the end, there is a ray of hope...and a question pointing to an answer...towards whom the majority of Indians are looking.
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