चरखा किसका? गाँधीजी या मोदीजी का....या हर भारतीय का!
आज मोदीजी की चरखा चलाते हुए खादी ग्रामोद्योग कमीशन के केलेण्डर पर छपी तस्वीर की चर्चा जोरों से हो रही है। गाँधीजी का चरखा भारत के स्वराज आंदोलन, विदेशी कपड़ों का त्याग और भारतीय उद्योग को बढ़ावा देने की भावना से जुड़ा हुआ है। मोदीजी की चरखे के साथ तस्वीर से कुछ विपक्ष का नाराज होना स्वाभाविक है। वे समझते है कि चरखे का स्वामीत्व केवल उनके ही पास है। मोदीजी पहले प्रधान मंत्री है जिन्होंने खादी के प्रचार और प्रसार की बात ही नही की बल्कि खादी उद्योग का तीव्र गति से विकास किया। मोदीजी ने ही देश में Make in India का नारा दिया और कई क्षेत्रों में भारत में निर्माण के लिए ठोस कदम उठाए। मोदीजी की चरखे के साथ छपी तस्वीर गाँधीजी को विस्थापित करने की द्रष्टि से नही देखना चाहिए बल्कि गाँधीजी के सिद्धांतों को और आगे बढ़ाने की नजर से देखना चाहिए।
भारत में और कई चिन्ताजनक विषय है, उन पर चर्चा और चिन्तन होना चाहिए न कि केलेण्डर पर किसकी तस्वीर हो।
गाँधीजी का चरखा हर भारतीय का है जो हमें विरासत में गाँधीजी से मिला है। नेताओं को अपनी व्यर्थ की भड़ास निकालता बंद करना चाहिए। पहले वे अपनी लूट, खसोट, भ्रष्टाचार, हिंसा, बेईमानी और समाज को बाँटने की राजनीति बंद करे जो ये भूल चुके है, तभी वे गाँधीजी की विरासत के सही मायने में हकदार हो सकते है।
आज मोदीजी की चरखा चलाते हुए खादी ग्रामोद्योग कमीशन के केलेण्डर पर छपी तस्वीर की चर्चा जोरों से हो रही है। गाँधीजी का चरखा भारत के स्वराज आंदोलन, विदेशी कपड़ों का त्याग और भारतीय उद्योग को बढ़ावा देने की भावना से जुड़ा हुआ है। मोदीजी की चरखे के साथ तस्वीर से कुछ विपक्ष का नाराज होना स्वाभाविक है। वे समझते है कि चरखे का स्वामीत्व केवल उनके ही पास है। मोदीजी पहले प्रधान मंत्री है जिन्होंने खादी के प्रचार और प्रसार की बात ही नही की बल्कि खादी उद्योग का तीव्र गति से विकास किया। मोदीजी ने ही देश में Make in India का नारा दिया और कई क्षेत्रों में भारत में निर्माण के लिए ठोस कदम उठाए। मोदीजी की चरखे के साथ छपी तस्वीर गाँधीजी को विस्थापित करने की द्रष्टि से नही देखना चाहिए बल्कि गाँधीजी के सिद्धांतों को और आगे बढ़ाने की नजर से देखना चाहिए।
भारत में और कई चिन्ताजनक विषय है, उन पर चर्चा और चिन्तन होना चाहिए न कि केलेण्डर पर किसकी तस्वीर हो।
गाँधीजी का चरखा हर भारतीय का है जो हमें विरासत में गाँधीजी से मिला है। नेताओं को अपनी व्यर्थ की भड़ास निकालता बंद करना चाहिए। पहले वे अपनी लूट, खसोट, भ्रष्टाचार, हिंसा, बेईमानी और समाज को बाँटने की राजनीति बंद करे जो ये भूल चुके है, तभी वे गाँधीजी की विरासत के सही मायने में हकदार हो सकते है।
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