Tuesday 4 April 2017

रामनवमी


आज भारत, नेपाल, इंहोनेशिया, थाइलेंड, दक्षिण अफ्रिका, फिजी सहित विश्व के समस्त हिन्दु समुदाय मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीरामचन्द्रजी, जो साक्षात ब्रम्हाण्ड के रचयिता, पोषक और निर्वाहक  माने जाते है, का जन्मदिवस " रामनवमी" मना रहे है। उस मर्यादा पुरुषोत्तम के चरणों में दण्डवत प्रणाम करते हुए आप सभी लोगों को रामनवमी की प्रेमपूर्वक बधाई और शुभकामनाएं अर्पित करता हूं।

हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार चैत्र शुक्लपक्ष की नवमी को भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। इसलिए इस दिन को रामनवमी का नाम दिया गया है और इसे राम जन्म दिवस के पर्व के रुप में मनाया जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में लंकाधिपति रावण के अत्याचारों को समाप्त करने एवं धर्म की पुनः स्थापना करने के लिए स्वयं भगवान विष्णु ने इस भारत भूमि पर अवतार लिया था। उनके पिता दशरथ अयोध्या नगरी के  राजा थे और उनकी  माँ कौशल्या थी।रामनवमी के त्यौहार हिंदु धर्म सभ्यता में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस पर्व के साथ ही माँ दुर्गा के नवरात्रों का समापन भी होता है। रामनवमी के दिन भगवान राम के साथ ही उनकी पत्नि सीता, भाई लक्षमण और उनके सेवक हनुमान की पूजा-अर्चना होती  है।भजन किर्तन गाये जाते है।  रामनवमी की पूजा में पहले देवताओं पर जल, रोली और लेपन चढ़ाया जाता है, इसके बाद मूर्तियों पर मुट्ठी भरके चावल चढ़ाये जाते हैं। पूजा के बाद आ‍रती की जाती है। कई स्थानों पर सामूहिक रामायण पाठ व भोजन किया जाता है। रामायण पाठ में संत तुलसीदास रचित रामचरितमानस का लयबद्ध पाठ बहुत सामान्य और बहुचर्चित है।

भगवान विष्णु ने राम रूप में असुरों का संहार करने के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया और जीवन भर मर्यादा का पालन करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। भगवान राम पूर्ण आदर्श के प्रतीक माने जाते है। आदर्श ग्राहस्थ्य जीवन, आदर्श राजधर्म, आदर्श पित्रभक्ति, आदर्श पारिवारिक जीवन, आदर्श पतिव्रतधर्म, आदर्श भ्रात्रधर्म का भगवान राम के अलावा और कोई ज्वलंत उदाहरण सामने नही आता। भगवान राम स्वयं सर्वोच्च भक्ति, ज्ञान, त्याग, वैराग्य और सदाचार की प्रतिमूर्ति थे। एक आदर्श राजधर्म और शासन प्रणाली का रामराज्य के अलावा और कोई पर्याय दिखाई नही देता। आज भी भारत में जब सुशासन की बात होती है तब राजनेता रामराज्य की ही परिकल्पना करते है जहां सबको समान न्याय, विकास और रक्षा का वचन दिया जाता है। अपने वनवास काल में जब दुष्ट रावण ने सीता हरण कर उसे लंका में ले जाकर रखा, तब राम एक साधारण मानव की तरह वे विरह की ज्वाला में जले। रावण पर विजय प्राप्ति के लिए वन में वानरो और अन्य वन्य जातियों की सेना एकत्रित की। उन्ही की सहायता से विशाल समुद्र में पत्थरों का सेतु बांधकर सोने की लंका को युद्ध के लिए ललकारा। रावण के सीता को मुक्त न करने के निर्णय पर घमासान युद्ध में बलशाली रावण का अन्त किया।सैन्य प्रबंधन और वन में इस तरह युद्ध के लिए सेना और श्रोत इकट्ठा करने का शायद ही कोई दुसरा उदाहरण मिलता हो। वर्तमान प्रबंधन पद्धति और शोधकर्ताओं के लिए यह एक विशिष्ट केस स्टडी साबित हो सकता है।

आज मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है, पर उनके आदर्शों को जीवन में नहीं उतारा जाता। अयोध्या के राजकुमार होते हुए भी भगवान राम धर्म और मर्यादा की रक्षा के लिए और अपने वचनबद्ध पिता के वचनों को पूरा करने के लिए संपूर्ण वैभव को त्यागकर14 वर्ष के लिए वन चले गए और आज देखें तो वैभव की लालसा में अपने ही पुत्र माता-पिता का काल बन जाते है।आज जब  विश्व विनाश की कगार पर खड़ा है,  सर्वत्र हाहाकार मचा हुआ है, सारा संसार दुःख, अशांति और आतंकी हमलों की ज्वाला से जल रहा है, विश्व के अनेक हिस्सों में मारकाट मची हुई है, प्रतिदिन कई नरसंहार, बलात्कार और विध्वंश की दिल दहलाने वाली गूंज सुनाई देती है, विश्व अपनी अथाह सम्पत्ति रचनात्मक कार्यों में न लगाकर एक दुसरे के विनाश के लिए खर्च कर रहा हैं, विज्ञान की सारी शक्तियां पृथ्वी को श्मशान में परिवर्तित करने के लिए तत्पर है, जलवायु प्रदूशन और विश्वव्यापी तापक्रम वृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग) का खतरा विश्व पर मंडरा रहा है । ऐसे समय पर विनाश से बचने के लिए विश्व को भगवान राम के आदर्श और शासन प्रणाली पर चिन्तन, मनन और उसे कार्यरूप में परिवर्तित करना अति आवश्यक हो गया है।

महात्मा गांधी रामनाम स्मरण पर बहुत आस्था रखते थे। उन्होंने अपनी पत्रिका हरिजन में कहा था;

"I laugh within myself when someone objects that Rama or the chanting of Ramanama is for the Hindus only, how can Mussalmans (Muslims) therefore take part in it? Is there one God for the Mussalmans and another for the Hindus, Paris (Parses) or Christians? No, there is only one omnipotent and omnipresent God. He is named variously and we remember Him by the name which is most familiar to us."
Harijan, 4/28/46

भारत के गाँवों में आज भी लोग एक दुसरे को " राम राम"  कहकर अभिनंदन करते हुए मिलेंगे। रामनाम हिन्दुओं के रग रग में बसा है। हिन्दुओं के देहान्त पर उनकी अन्तिम यात्रा का भी  "राम नाम सत्य है" की उद् घोषणा करते हुए  समापन किया जाता है।

जय श्री राम!

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