Thursday 31 August 2017

हम एक है, हम एक ही है और ईश्वर भी एक ही है

धर्म,
हर युग में,
बदल सकता है,
सत्य नही!

मान्यताएं,
हर युग में,
बदल सकती है,
सत्य नही!

रीति-रिवाज,
हर युग में,
बदल सकते है,
सत्य नही!

धर्म और मान्यताए,
रीति और रिवाज,
मानव निर्मित है,
स्थायी नही,
परिवर्तनशील है,
परिवर्तित होते रहते है!

आपने और मैने,
आपके धर्म गुरुओं ने,
मेरे धर्म गुरुओं ने,
अपनी सहूलियत,
अपनी मान्यताओं,
के आधार पर,
आपके धर्म को,
मेरे धर्म को,
रचा है, रुप दिया है,
प्रचारित किया है,
प्रसारित किया है!

आपका धर्म,
आपकी मान्यताएं,
आपके रीति-रिवाज,
मेरे धर्म और मेरी मान्यताओं से,
मेरे रीति-रिवाजों से,
अलग हो सकते है!
हमारे रास्ते अलग हो सकते है,
हमारी नियति एक ही है!

आपके पूजन,
और प्रार्थना की रीत,
मेरे पूजन,
और मेरी प्रार्थना की रीत से,
अलग हो सकती है!
हमारा स्तव्य एक ही है!

आपका अस्तित्व,
मेरे अस्तित्व से,
भिन्न नही!
आपका जनक,
और मेरा जनक,
भिन्न नही!
मेरा ईश्वर, आपका खुदा,
मेरा ख़ुदा, आपका ईशा,
मेरा ईशा, आपका नानक,
मेरा नानक, आपका ईश्वर,
एक है, एक ही है,
भिन्न नही!

यह आप भी जानते है,
मै भी जानता हूं!
पर कहने से,
आप भी झिझकते है,
कहने से,
मै भी झिझकता हूँ!

आप यह भी जानते है,
मै भी जानता हूँ,
आपका आना-जाना,
मेरे आने-जाने से,
भिन्न नही!

आप मुझसे,
मै आपसे,
जमीनी तौर पर
एक है, एक ही है,
भिन्न नही!

सत्य यही है,
आप और मै,
मै और आप,
एक है, एक ही है,
भिन्न नही!

हम दोनों,
एक ही सत्य की,
उत्पत्ति है,
प्रमाण है,
एक ही केन्द्र की,
निधि है,
परिधि है
यही सत्य है,
असत्य नही!

हम दोनों,
एक ही माला के,
मोती है,
एक ही प्रकाश की,
ज्याति है!
यही सत्य है,
मिथ्या नही!

हम जुदा नही,
हम एक ही है!
हम दो शरीर सही,
पर एक ही सत्य,
एक ही महाप्राण के,
प्रमाण है,
अंश है, अंकुर है,
एक ही प्राण है,
यही सत्य है,
यही सत्य है,
यही सत्य है,
यही आपका,
और यही मेरा,
परम धर्म है!

यह सत्य ही,
यह परम धर्म ही,
चीर स्थाई,
अविनाशी है!
यही सत्य है,
असत्य नही!
यह सत्य ही,
ईश्वर है!
आपका-मेरा और सबका,
यह सत्य ही ईश्वर है!

मै इसे राम कहूं,
रहीम कहूँ,
ईसा कहूं,
नानक कहूं,
इससे अन्तर नही!

मै अपने को हिन्दु कहूं,
मुसलमान कहूं,
ईसाई कहूं,
सिख कहूं,
यह उपरी चोला है,
ऑंखों का धोका है,
इससे कोई फरक नही!

हम सबका सत्य,
हम सबके नाथ,
हम सबके स्वामी,
हम सबके पालनहार,
एक ही है,
जुदा नही!

हमारी शारीरिक,
धार्मिक,
कार्मिक,
भिन्नताएं है,
पर हम सबके महाप्राण,
हमारे प्राणदाता,
हमारे पालक,
हमारे विधाता,
एक ही है,
जुदा नही!

हम अन्तोतोगत्वा,
एक ही हैं!
हम एक ही है!
हम एक ही है!!

सत्य ही ईश्वर है!
सत्य ही शिव है!
सत्य ही सुन्दर है!

सत्य मेव जयते!

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