Saturday 8 July 2017

जहां चाह है वहां राह है

सच्चे मन की और सच्चाई से की गई चाहत, चिन्तन और विचारों में अनन्त शक्ति होती है। इस बात को विश्व भर में माना जाता है और विश्व की कई ऐसी घटनाएं है जो इस बात की यथार्थता पूर्ण रुप से  सिद्ध करते है। मन या mind  की शक्ति हर इन्सान में पूर्ण रुपेण मौजुद होती है, लेकिन न तो इसका ज्ञान हरेक को होता है और न हरेक इस बात को सच्चाई से उपयोग में लाता है। पूर्ण चिंतन के साथ किए गए ऐसे विचार जो पवित्रता और शुद्धता से पूर्ण हो, जो नियति और प्रकृति के नियमों के विरुद्ध न हो कभी व्यर्थ नही जाते। बल्कि मान्यता यह है कि सच्चे मन से और शुद्धता से किए हुए विचारों की पूर्ति के लिए सारी नियति आपके साथ काम करने में सहायक हो जाती है। ये विचार जब आपके सच्चे मन से प्रतिपादित होते है तो आपके जीवन की हर घटना इन विचारों के आसपास घुमती है और आपके विचारों से प्रभावित हुए बिना नही रह पाती।आपके विचार ही मुख्य रुप से  आपके व्यवहार, आपके मनोभाव में बदल कर आपके हर कार्यों का संचालन करते है।

उपरोक्त बातें विज्ञान की कसौटी पर भी सत्य पाई गई है। विचार या thoughts केवल एक उर्जा (energy) है। यह बात सभी जानते है कि केवल उर्जा ही सृष्टि का धरातल (base) है। ब्रम्हांडीय उर्जा (cosmic energy) के फलस्वरूप ही सूर्य, चन्द्र, तारे और समस्त ब्रम्हांड गतिशील होने के बाद भी एक गणितीय संरचना के अन्तर्गत कार्यशील है। इसी ब्रम्हांडीय उर्जा के कारण ही मानव,  सम्पूर्ण चराचर और विश्व अपने अपने कार्य कलाप, इसी उर्जा के अधिनस्त होकर सुचारु रुप से संतुलित होकर संपन्न करते है। यह संपूर्ण उर्जा क्षेत्र एक सकल सजीव चेतनायुक्त इकाई के रुप में सदैव कार्यशील रहता  है। जब मानव कोई विचार या संकल्प मन में लाता है तो वह विचार भी उस सकल और सजीव चेतना रुपी उर्जा क्षेत्र को प्रभावित करता है। यदि मानव संकल्प की उर्जा और ब्रम्हांडीय सकल उर्जा  एक दूसरे के पूरक होते है तब दोनों एक दूसरे के साथ मिलकर मानव संकल्प की पूर्ति के  लिए जुट जाते है। किन्तु यदि मानव संकल्प की उर्जा में और  ब्रम्हांडीय उर्जा क्षेत्र में विरोधाभास होता है तब जो उर्जा ज्यादा बलवान होती है उसका नतीजा परिणामित होता है।

मन की शक्ति या विचारों की शक्ति सृजनात्मक होती है। इस शक्ति पर मनन और चिन्तन कर इसे सही गुणात्मक दिशा देकर और शक्तिशाली बनाया जा सकता है। इसे शक्तिशाली बनाकर अपने स्वयं के जीवन में वांछित बदलाव लाया जा सकता है। साथ ही अपने विचारों की पवित्रता, शुद्धता और शक्ति से औरों के मन को भी प्रभावित किया जा सकता है। जरुरत है, अपने मन में प्रकट सकारात्मकता के बीज को उचित जल का सिंचन कर प्रस्फूटित किया जाए और उस पौधे की देखरेख कर उसे एक मजबूत वृक्ष बनाया जाए।

सकारात्मक विचारों का सृजन एक दिवास्वप्न की तरह निरंतर चिन्तन और मनन कर किया जा सकता है।लगातार चिन्तन और मनन मानव मस्तिष्क के अवचेतन पटल पर कृमबद्ध तरीके से अंकित होते जाता है । कुछ ही दिनों के सतत प्रयास से आप देखेंगे के आपके सोचने, विचारने और कार्य करने की प्रणाली में आमूल परिवर्तन होने लगा है। यह परिवर्तन ही एक बड़े वृक्ष का रुप धारण कर आपको अपने संकल्प के नजदीक लेकर जाता है। इस अवस्था में आपको आपके संकल्प पूरा करने से कोई शक्ति रोक नही पायेगी।

इसी मन की शक्ति या इच्छा शक्ति या संकल्प की शक्ति का उपयोग कर कई असाध्य बिमारियों से भी मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। मनोवैज्ञानिक एवं अन्य चिकित्सक भी मन और शरीर के विकारों को दूर करने के लिए मानव मन में स्थित इच्छा शक्ति का आधुनिक युग में उपयोग भली भांति करने लगे है। इसी शक्ति में आपके मन की शांति, आनन्द और उल्लास छिपा हुआ है।रोज संकल्प करें कि आपका सपना पूरा होगा। संकल्प करें की नई उर्जा के साथ आप अपने सपने को पूरा करने के लिए कार्यरत रहेंगे। संकल्प करें कि आपकी सुख शांति का उपाय आपके संकल्प में ही नीहित है जिसे पाने का आपका हक कोई नही छीन सकता है। विश्व के अनेकों सफल महापुरुषों की सफलता का रहस्य उनकी दृड़ इच्छा शक्ति, अविरल प्रयत्न और साहस का ही परिणाम है। इसीलिए कहा जाता है कि "जहाँ चाह है वहाँ राह है"।  संभव असंभव कुछ नही है आपकी ताकत आपके अन्दर छिपी हुई इच्छा शक्ति है। आप स्वतः अपनी तकदीर के लेखक, निर्माता और निर्देशक हो, दुसरा कोई नही।

योग और ध्यान आपको अपनी यात्रा में सहयोग करेंगे। योग और ध्यान आपको अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की ओर प्रेरित करेंगे। योग और ध्यान आपको अपने लक्ष्य पर चिन्तन करने के लिए दिशा देंगे। आपका संकल्प और चिन्तन ही आपके सफलता की कुंजी है।

स्वामी विवेकानन्दजी ने मन की शक्ति या इच्छा शक्ति के बारे में  कहा है कि " प्रबल इच्छा शक्ति के होने पर मानव शूण्य से सृष्टि का निर्माण कर सकता है लेकिन इच्छा शक्ति न होने पर उसकी प्रतिभा, उसकी अक्षय निधि और उसके सारे गुण शूण्य में परिवर्तित होने में समय नही लगेगा।"

अपने सपनों को जीयों और खुश रहो।

No comments:

Post a Comment

Nyay or Anyay

Is it a Nyay Yojana or AnyayYojana?  Congress sets it's desperate game plan to come to power at any cost, not at any cost to itself b...