Tuesday 14 March 2017

एक कविता मौत के नाम... मौत तू इतनी निष्ठुर क्यो है?

मौत तू इतनी निष्ठुर क्यो है?
क्या एक माँ की ममता का भी तुझे ख्याल नही
क्या एक पिता के प्यार की भी तुझे परवाह नही
क्या एक बहन के राखी का भी तुझे सम्मान नही
तुने कितनों को रुलाया, कितनों को तड़पाया क्या तुझे ज्ञात नही
फिर भी तेरी आँख नही भरी, मौत तू इतनी निर्दयी क्यो है?

मौत तू इतनी निष्ठुर क्यो है?
जिन हाथों ने उसे चलना सिखाया
उन्ही हाथों ने आज उसकी अर्थी उठाई
जिन आँखों ने उसकी बाल लीला सराही
उन्हीं आँखों में तुने अश्रुओं की झड़ी लगाई
फिर भी तुझे करुणा नही आई, मौत तू इतनी निर्मम क्यों है?

मौत तू इतनी निष्ठुर क्यो है?
यदि एक तू ही सत्य है तो असत्य क्या है
यदि तू ही एक नियति है तो नीति क्या है
शून्य से आकर शून्य में विलय होना क्या यही सच है
जीवन देकर, स्वप्न दिखा, छीन लेना क्या यही तेरा खेल है
फिर भी छलावा करती रहे, मौत तू  इतनी क्रूर क्यो है?

मौत तू इतनी निष्ठुर क्यो है?
याद रख तू , तू अंतिम सत्य नही है
याद रख जीवन अनन्त है, तू अनन्त नही
याद रख मै फिर आउंगा, तुझसे लडुंगा
याद रख  तेरा-मेरा खेल यूं ही चलता रहेगा
विजय पाऊंगा तू जान ले, मौत तू कितनी भी निष्ठुर सही!

मौत तू इतनी निष्ठुर क्यो है?
रुप बदल कर, नया चोला पहनकर बार बार आऊंगा
कभी माँ, कभी पिता, भाई बहन बनकर यूं ही प्यार बांटुंगा
नही डरूंगा तुझसे, आँख मिचौली का खेल यूं ही खेलूंगा
तू कर ले लाख कोशीस मुझे कर्तव्य पथ स कोईे डीगा नही पाएगा
जीवन जीउंगा, आनन्द फैैलाउंगा, मौत तू कितनी भी निर्मम सही!

मौत तू इतनी निष्ठुर क्यो है?
जीवन निरन्तर है क्रमबद्ध है, सुरबद्ध और लयबद्ध है
बहती नदिया की अविरल धार है इसे तू बांध नही पाएगी
सागर से मिलकर सागर बनेगी तू रोक नही पाएगी
छोड़ अपना अहंकार तू एक अल्प विराम है पूर्ण विराम नही
तू कितनी भी विभत्स सही, सागर विशाल है, अन्तहीन-अनन्त है
तू निर्लज और तुच्छ है मौत तू कितनी भी भयंकर सही!

मौत तू इतनी निष्ठुर क्यो है?
जीवन गतिमान है, आना जाना मेरा काम है, नाम रचना मेरा धर्म है
चलते रहना, जीवन संग्राम लड़ना, जीवन मुक्ति पाना मेरा कर्म है
तू असत्य है मै मानव स्वयं अनन्त हूँ, स्वयंभू हूँ, तेरा कोई दास नही
अनन्त में लीन हो जाऊंगा तुझसे और जन्म मरण चक्र से मुक्ति पाऊंगा
तू ही अंत में हारेगी, मौत तू कितनी भी अंहकारी सही!




No comments:

Post a Comment

Nyay or Anyay

Is it a Nyay Yojana or AnyayYojana?  Congress sets it's desperate game plan to come to power at any cost, not at any cost to itself b...